श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 110 वीं जयंती के सुअवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन २१ – २२ नवंबर २०२५ विज्ञान भवन, नई दिल्ली।

राष्ट्रीयता व मानवता के प्रतीक : पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्वर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में गूंज उठे।
लेखिका मधु खन्ना को नई दिल्ली विज्ञान भवन में विश्व हिंदी परिषद के तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में “विश्व हिंदी सेवा सम्मान” से सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली में विश्व हिंदी परिषद के तत्वावधान में राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर केंद्रित यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन २१ एवं २२ नवंबर २०२५ को विज्ञान भवन में आयोजित हुआ। देश विदेश से अनेक प्रबुद्ध जन की उपस्थिति रही।
इस अवसर पर हिंदी में अतुलनीय योगदान के लिये श्री कवीन्द्र गुप्ता जी माननीय उपराज्यपाल लद्दाख व विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री एवं पद्मभूषण आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद (पूर्व राज्य सभा सांसद एवं पूर्व उपाध्यक्ष संसदीय राजभाषा समिति, भारत सरकार) द्वारा “विश्व हिंदी सेवा सम्मान” प्रतीक चिह्न व अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
आदरणीय श्री अजय मिश्र टेनी माननीय निवर्तमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व परिषद के महासचिव प्रख्यात स्तंभकार एवं लेखक डॉ विपिन कुमार जी की गौरवमय उपस्थिति रही।
श्री ग्रेबु टेकले राजदूत इथियोपिया और सुश्री सुनैना मोहन, सूरीनाम दूतावास ,
के सी त्यागी पूर्व राज्य सभा सदस्य व वरिष्ठ नेता जद (यू) ,
प्रो सच्चिदानंद मिश्र जी, सदस्य सचिव, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद,
डॉ वी एस चौहान जी, अध्यक्ष, प्रकाश ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स एंड इंस्टीटूशन, नोएडा
प्रो हेमचंद्र जैन, प्राचार्य, दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय, दिल्ली।
डॉ महेशचंद्र शर्मा अध्यक्ष, एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
प्रो पूरनचंद टंडन, सेवानिवृत प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्व विद्यालय, दिल्ली
डॉ शिवशक्ति नाथ बख्शी
संपादक, ‘कमल संदेश’
श्री बलदेव पुरुषार्थ
सयुंक्त सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय
प्रो संध्या गर्ग,
डॉ रेवा शर्मा
श्रीमती धर्मशीला गुप्ता जी, माननीय सांसद, राज्य सभा
प्रो रामनारायण पटेल, सम्मेलन सयोंजक,
डॉ शंकुंतला सरपुरिया, राष्ट्रीय समन्वयक
श्री देवी प्रसाद मिश्र, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विश्व हिंदी परिषद, नई दिल्ली
महामंडलेश्वर श्री शांतिगिरी जी महाराज
श्रीमती कमलेश जांगड़े जी माननीय लोकसभा सांसद, जांजगीर चांपा, छत्तीसगढ़
श्री संदीप मारवाह जी
अध्यक्ष एवं चांसलर, एएएफटी यूनिवर्सिटी आफ़ मीडिया एंड आर्ट्स
श्री सुरेश चौहान
अध्यक्ष व प्रधान संपादक, सुदर्शन न्यूज़
डॉ ऋतु शर्मा ननंन पांडेय जी नीदरलैंड
डॉ विवेकमणि त्रिपाठी जी – चीन
सुश्री वंदना खुराना – लंदन
डॉ दुर्गा सिंहा ‘उदार’ अमेरिका
डॉ पूर्णिमा शर्मा – जापान
डॉ मृदुल कीर्ति – ऑस्ट्रेलिया
डॉ मधु खन्ना – ऑस्ट्रेलिया
डॉ कादम्बरी शंकर – अमेरिका
सभी सत्रो में होना तो संभव ना था किंतु महान अनुभवी वक्ता से, उन के दृष्टिकोण को समझा। विभिन्न सत्रो में ज्ञान का आदान प्रदान, आलेख व आनंदमय कविसम्मेलन का आयोजन किया गया।
माननीय श्री अजय मिश्र टेनी जी ने अपने वक्तव्य में कहा – वसुधैव कुटुम्बकुम – समता व समरसता – एक दूसरे की उन्नति में सहयोग – निश्चय ही वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से हमारा कल्याण होगा । उन्होंने कहा भाषा केवल संवाद के लिये नहीं अपितु वैश्विक रूप से फैलनी चाहिए। भारत की संस्कृति का सम्पूर्ण विश्व को दर्शन कराना है।
माननीय डॉ बिपिन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा – “तन, मन, भावना से एक हो तभी व्यक्ति राष्ट्र के लिये बेहतर काम कर सकता है।
प्रवासी भारतीय तन, मन, भावना से जहाँ भी रहे वह अपनी भाषा के लिये, देश के लिये समर्पित है।
अनेक महानुभावों के वक्तव्यों से कुछ ना कुछ सीखने को मिला।
फ़िल्म परदर्शन – नालंदा विश्वविद्यालय : एक झलक – बहुत सुंदर प्रस्तुति रही। श्री मालखान सिंह वि श्री मनीष खन्ना प्रसिद्ध अभिनेता मुंबई। अंत में सोने पर सुहागा
कवि सम्मेलन में देश भर से आये राज्यो से कवियों के मुख से मधुर काव्य पाठ सुनने को मिला।
हो सकता है सभी ज्ञानी जन के नाम उल्लेख करना कठिन है किंतु उन के सुने समृद्ध विचार सदा स्मरणीय रहेंगे। इस आयोजन में विदेश सहित भारत देश के सभी राज्यों के प्रतिनिधियों की बहुमूल्य उपस्थिति रही। इस में छतीसगढ़ के 15 से अधिक साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मन को छूने की बात है कि कोई कहाँ से भी आया हो मन से वह भारतीय है व साहित्य सेवा में समर्पित है।
यह आयोजन एक अनूठा भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रहा जहाँ विश्व भर के साहित्यकार, लेखक, कवि सभी ने इस महायज्ञ में आ कर अपने सच्चे मन से हिंदी भाषा के प्रति प्रेम जताया व आहुति दी। जहाँ राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा पर प्रकाश डाला गया। पंडित दीनदयाल की जीवन शैली युवा पीढ़ी के लिये एक उदाहरण है।
“समाज का विकास अंतिम व्यक्ति के उत्थान से ही मापा जाना चाहिए“
“राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं बल्कि समाजसेवा का माध्यम है”
“संवेदनशीलता और नैतिकता के बिना विकास केवल विनाश का रास्ता है”
यह केवल दो दिन के समारोह तक सीमित नहीं अपितु ज्ञान की अविरल धारा है जिस ने देश विदेश के प्रबुद्ध जन को माला में मनको की भाँति विश्व भर के हिन्दी प्रेमियों को एकता में गूँथ दिया।
—मधु खन्ना।

